‘सत्राची सम्मान’, 2023
श्री सच्चिदानंद सिन्हा को वर्ष 2023 का ‘सत्राची सम्मान’
सत्राची सम्मान – 2023 के लिए प्रो. वीर भारत तलवार की अध्यक्षता में चयन समिति गठित की गयी थी. इस समिति के सदस्य पटना कॉलेज के प्राचार्य प्रो. तरुण कुमार और ‘सत्राची’ के प्रधान संपादक प्रो. कमलेश वर्मा रहे.
चयन समिति की सर्वसम्मति से वर्ष 2023 का तीसरा ‘सत्राची सम्मान’ प्रसिद्ध लेखक-चिन्तक और राजनीतिक बुद्धिजीवी श्री सच्चिदानंद सिन्हा को दिया जाएगा.
श्री सच्चिदानंद सिन्हा जीवन भर एक लेखक, विचारक, वक्ता, पत्रकार, संपादक और कार्यकर्त्ता के रूप में सक्रिय रहे. उनकी वैचारिकी के स्रोत समाजवादी विचारधारा के भीतर मौजूद रहे, मगर उन्होंने समाजवादी राजनीति और उसके नेताओं के प्रति
आलोचनात्मक दृष्टि रखने में अपना विश्वास जताया. उनके संपूर्ण लेखन, भाषण, साक्षात्कार आदि को पढ़कर यह समझा जा सकता है कि उनकी चिंता के केंद्र में न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के बारे में सोचने-विचारने और लिखने की
प्रवृत्ति रही है. उन्होंने न्यायपूर्ण सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को समकालीन विषयों पर सूझ-बूझ के साथ लिखकर और बोलकर प्रकट किया है.
श्री सच्चिदानंद सिन्हा जीवन भर एक लेखक, विचारक, वक्ता, पत्रकार, संपादक और कार्यकर्त्ता के रूप में सक्रिय रहे. उनकी वैचारिकी के स्रोत समाजवादी विचारधारा के भीतर मौजूद रहे, मगर उन्होंने समाजवादी राजनीति और उसके
नेताओं के प्रति आलोचनात्मक दृष्टि रखने में अपना विश्वास जताया. उनके संपूर्ण लेखन, भाषण, साक्षात्कार आदि को पढ़कर यह समझा जा सकता है कि उनकी चिंता के केंद्र में न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के बारे में सोचने-विचारने और
लिखने की प्रवृत्ति रही है. उन्होंने न्यायपूर्ण सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को समकालीन विषयों पर सूझ-बूझ के साथ लिखकर और बोलकर प्रकट किया है.
आगामी 20 सितम्बर, 2023 को श्री सच्चिदानंद सिन्हा को सम्मान-स्वरूप इक्यावन हजार रुपये का चेक, मानपत्र, अंगवस्त्र और स्मृति-चिह्न प्रदान किया जाएगा.
श्री सच्चिदानंद सिन्हा का जन्म 1928 में हुआ था. आज वे लगभग 95 वर्ष के है. मूल रूप से पूर्वी चंपारण के रहनेवाले श्री सिन्हा के जीवन का बड़ा हिस्सा मणिका, मुजफ्फरपुर में बीता. पटना, हजारीबाग, बम्बई, हैदराबाद और दिल्ली में रहकर उन्होंने पढ़ाई, लिखाई, नौकरी और राजनीतिक गतिविधियों को संपन्न किया. जयप्रकाश नारायण और राममनोहर लोहिया जैसे दिग्गज नेताओं से वे जुड़े भी रहे और अपने ढंग से समाजवाद की धारा पर विचार करते रहे.
श्री सच्चिदानंद सिन्हा का समाजवादी चिंतन-लेखन भारतीय परिवेश से जुड़ा है. उन्होंने गाँधीवाद पर गहराई से सोचा-विचारा और अपने लेखन-चिंतन को भारत के प्रसंगों में विकसित करने का प्रयास किया. 1942 की क्रांति से शुरू होनेवाली उनकी राजनीतिक यात्रा विभिन्न रूपों में पिछले दशक तक चलती रही. आठ खण्डों में प्रकाशित उनकी रचनावली में उनके कई लेख, भाषण और इंटरव्यू पिछले दशक के हैं. कहा जा सकता है कि विभिन्न रूपों में उनके योगदान की कालावधि लगभग 75 वर्षों में फैली हुई है. यह अवधि अपने आप में आश्चर्यजनक मालूम पड़ती है.
श्री सच्चिदानंद सिन्हा का दीर्घ जीवन त्याग और परिश्रम का प्रतीक है. उन्होंने पद या किसी भी तरह के लाभ से अपने जीवन और लेखन को सदैव बचाकर रखा.
इस तरह के दुर्लभ योगदान को ध्यान में रखकर श्री सच्चिदानंद सिन्हा को ‘सत्राची सम्मान’ – 2023 से सम्मानित किए जाने के निर्णय से सत्राची फाउंडेशन स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहा है.